Saturday 19 May 2018

जानें क्या हैं : - मानव का जनन तंत्र [Human Reproductive System]

मानव का जनन तंत्र - Human Reproductive System 

अन्य प्राणियों के समान मानव में नर (Male) व मादा (Female) जननांग अलग-अलग सदस्यों में होते है. 

नर (पुरुष) का जनन तंत्र- Male Reproductive System  : नर (पुरुष) में पाए जाने वाले प्रमुख जनन अंग (internal body parts) निम्न प्रकार है:- 



1. वृषण – ये संख्या में दो होते है ! इनका प्रमुख कार्य नर युग्मक (शुक्राणु) का निर्माण करना होता है ! ये नर हार्मोन टेस्टेस्टिरोन को स्त्रावित करते है जो नर के द्रितिय लेंगिक लक्षणों का निर्धारण करते है. 



2. वृषण कोश – उदर गुहा के आवरण में घिरे वृषण कोश में स्थित होते है ! वृषण कोश का ताप शारीरिक ताप से 2-3 सेंटीग्रेड कम होता है. 

3. सेमीनिफेरस नलिकाएं – वृषण में उपस्थित कुंडलित नलिकाएं जो शुक्र जनन के लिए उत्तरदायी है ! इन्हीं के मध्य अंतराली कोशिकाएं पायी जाति है जो टेस्टेस्टिरोन का निर्माण करती है. 

4. एपिडेडिमस – इस संरचना में सेमीनीफेरस नलिकाएं खुलती है ! यहाँ शुक्राणुओं को परिपक्वन करने के लिए वातावरण मिलता है ! शुक्र वाहिनी में प्रवेश करने से पहले शुक्राणु इसमें संरक्षित किये जाते है. 

5. शुक्र वाहिनी – शुक्राणु का संग्रहण शुक्र वाहिनी में किया जाता है तथा एपिडेडिमस को शुक्राशय से जोड़ने का कार्य करती है. 

6. मूत्रमार्ग – यह नलिका मूत्राशय से मूत्र एवं शुक्र वाहिनी से शुक्राणुओं को उत्सर्जित करती है. 

7. शुक्राशय – शुक्राशय के उर्जा स्त्रोत के रूप में फ्रकटोज नामक शर्करा पायी जाती है ! शुक्राशय से स्त्रावित तरल पदार्थो से मिलकर शुक्राणु वीर्य का निर्माण करते है जिसकी प्रक्रति क्षारीय होती है. 

8. प्रोस्टेट ग्रंथि – प्रोस्टेट ग्रंथि में हल्का क्षारीय द्रव उपस्थित रहता है जो जननांगों के अन्य वातावरण को उदासीन करता है ! प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्राशय के निचे स्थित होती है. 

9. काउपर्स ग्रंथि – इसका कार्य मूत्र के अम्लीय प्रभाव को अपने क्षारीय स्त्राव द्वारा उदासीन करता है. 

मादा (स्त्री) का जनन तंत्र - Female Reproductive System  : मादा (स्त्री) :- मादा के मूत्र मार्ग एवं जनन मार्ग में कोई संबध नहीं होता है ! मादा में पाए जाने वाले प्रमुख जनन अंग निम्न प्रकार है- 

1. अंडाशय – यह मादा जनन है ! ये संख्या में दो होते है तथा मादा युग्मकों का निर्माण करते है जिन्हें अंडाणु कहते है ! इससे मादा हार्मोन एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन स्त्रावित होता है जो मादा में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों एवं ऋतू स्त्राव (Menstrual Cycle) के लिए उत्तरदायी है ! यह लक्षण गौण लेंगिक लक्षण कहलाते है. 

2. अंडवाहिनी – निषेचन की क्रिया अंडवाहिनी में संपन्न होती है ! ये नलिकाकार रचनायें फेलोपियन नलिकाएं भी कहलाती है ! इनका कार्य अंडाशय से अंडे को गर्भाशय तक पहुचाना है इनके अंडाशय के समीप खुलने वाले भाग में अंगुलीनुमा प्रवर्ध पाये जाते है जिन्हें फिम्ब्री कहा जाता हाउ ! इनका कार्य अंडे को अंडवाहिनी में धकेलना है. 

3. गर्भाशय (यूटस) – निषेचन के पश्चात युग्मनज गर्भाशय में आते है ! यहाँ प्रसव के समय तक भ्रूण का समस्त विकास होता है ! गर्भाशय की भित्ति लचीली होती है महिलाओं में प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन का गर्भनिरोधक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है ! गर्भनिरोधक गोलियां महिलाओं के लिए रोज खाने वाली गोलियां है ! जिनमें एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोन दोनों हार्मोन होते है. 

Menstrual cycle और MC या मासिक धर्म : यह महिला प्रजनन प्रणाली में होने वाली नियमित प्राकृतिक परिवर्तनों को संदर्भित करता है ! महिलाओं में पहला चक्र आम तौर पर बारह और पन्द्रह वर्ष की उम्र के बीच शुरू होता है और 45 वर्ष की आयु तक जारी रहता है ! इस चक्र की औसत लंबाई 28 दिन होती है जो चार अलग चरणों में विभाजित होती है. 

माहवारी क्या है [Periods of (MC)] पूरी जानकारी:- 

महावारी (Menstrual Cycle (MC) स्वाभाविक प्रक्रिया है जो 11-14 वर्ष की आयु के बीच आरंभ होती है ! एक मासिक धर्मचक्र के दौरान सामान्यतया नि:सृत अन्डो की संख्या एक होती है. 

एक महावारी के रक्त स्त्राव के पहले दिन से दूसरी महावारी के रक्त स्त्राव के पहले दिन तक के समय को मासिक चक्र (Monthly period in hindi) कहते है ! यह सामान्यतया : 28 दिन का होता है. 

महावारी (Periods) 43 से 50 वर्ष की आयु के मध्य अनियमित हो जाती है तथा बाद में पूर्ण रूप से बंद हो जाती है इस अवस्था को रजोनिव्रती (मीनोपोज) कहते है. 

नोट - हमारी टीम का पूरा प्रयास रहता है कि पाठक को सही जानकारी मिले, फिर भी यदि कोई त्रुटी हो तो कमेटं बाक्स में लिखे, जिससे आवश्यक सुधार किया जा सकें। आप 9109208150 पर व्हाटसप भी कर सकते है।

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