Sunday 4 March 2018

जीएसटी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य एंव क्या है GST

#     जीएसटी का अर्थ है गुड एंड सर्विस टैक्स वस्तु व सेवा कर बिल है 
#     इसके तहत पूरे भारत में एक ही तरह का टैक्स लगेगा 

#     जिससे पूरे भारत में एक ही वस्तु का एक ही मुल्य होगा 
#     और वर्तमान में विद्यमान विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करो की समाप्ति होगी 
#     जीएसटी बिल वैट सिद्धांत पर आधारित है 
#     जीएसटी का सुझाव सर्वप्रथम अप्रत्यक्ष करो पर केलकर कार्यबल ने 2003 में दिया था 
#     वर्ष 2014 में लागू जीएसटी संविधान संशोधन 122 के तहत सभी वस्तुओंपर कर लगेगा सिर्फ अल्कोहल/शराब पर नहीं लगेगा 
#     जीएसटी एक अप्रत्यक्ष करजो देश भर में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्तिपर विनिर्माता से उपभोक्ताओं तक एकल कर होगा 
#     जिससे पूरा देश एक एकीकृत साझा व्यापारमें परिवर्तित हो जाएगा 
#     उत्पादन के प्रत्येक चरण में भुगतान किए गए इनपुट करों का लाभ मूल्य संवर्द्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा 
#     इस प्रकार उत्पादन के स्तर पर केवल वैल्यू एडिशन पर ही यह करदेना होगा 
#     अंतिम उपभोक्ताओं को इस आपूर्ति श्रंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया GST ही वहन करना होगा 
#     इस प्रकार विभिन्न स्तरों पर लगने वहां वाले करो पर कर का प्रभाव समाप्तसकेगा 
#     जीएसटी के लागू होने से केन्द्रीय करों मे से केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क ,सेवा कर, एडिशनल कस्टम ड्यूटी,विशेष ओर अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी,तथा वस्तुओं व सेवाओं पर लगने वाले सारे सरचार्ज व सैस जहां समाप्त होंगे 
#     वहीं राज्य के करों मे वैट, मनोरंजन कर, केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी व प्रवेश कर, खरीद कर, विलासिता कर ,लॉटरी ,सट्टे व जुए पर लगने वाले कर तथा सरचार्ज व सैस इसमे समाहित हो जाएंगे 
#     इस प्रकार केंद्र ,राज्य व स्थानीय निकायों द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न प्रत्यक्ष करो के स्थान पर एकीकृत जीएसटी ही वसूला जाएगा और पूरा देश एक समरूप बाजार के रूपमें विकसित हो सकेगा 
#     जीएसटी लागू होने से वस्तुओं के मूल्य कम होंगे 
#     जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को होगा 
#     सेवाओं के मूल्य में कुछ वृद्धि इससे होगी 
#     वस्तुओं व सेवाओं की लागत कम होने से भारतीय निर्यात को इससे बढ़ावा मिलेगा 
#     अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस से जीडीपी में वृद्धि होगी 
#     नेशनल कॉउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्चने इससे जीडीपी में 0.9%से 1.7% की वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया था 
#     जीएसटी की संरचना दोहरी किस्मकी होगी 
#     केंद्र सरकार द्वारा लगाया व वसूला जाने वाला कर तथा राज्य सरकारों द्वारा लगाया व वसूला जाने वाला कर वैल्यू एडिशन के प्रत्येक चरण पर CGST व SGST वसूलीजाएंगे 
#     जीएसटी के मामले में विभिन्न मिलने के लिए जीएसटी परिषद का गठन किया जाएगा 
#     जीएसटी परिषद का अध्यक्ष वित्त मंत्री होगा 
#   जीएसटी परिषद में केंद्र व राज्य दोनोंका प्रतिनिधित्व होगा 
#    जीएसटी परिषद में सभी राज्य सरकारेसदस्य होंगी 
#     इस कारण यह एक शक्तिशाली सांविधिक निकाय होगा 
#   जीएसटी का आरोपण शुरू से अंत तक सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित होने के कारण इसका अनुपालन सरलहोगा और कर वंचना नहींहो सकेगी 
#     इससे कर संग्रह में वृद्धिहोगी और कर संग्रहण की लागत कमहोगी 
#     केंद्र व राज्य सरकारों दोनों को ही जीएसटी के संबंध में कानूनबनाने का अधिकार होगा 
#     संविधान संशोधन 122 के तहत वैयक्तिक उपभोग वाली शराब को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है 
#     पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी के लागू करने के संबंध में निर्णय जीएसटी काउंसिल द्वारा लिया जाएगा 
#     जीएसटी के परिणाम स्वरुप राज्य को होने वाली राजस्व हानि की भरपाई 5 वर्षों तक केंद्रद्वारा की जाएगी 
#     भारत में वैट सिद्धांत पर आधारित एक व्यापक जीएसटीलाने का सुझाव सर्वप्रथम अप्रत्यक्ष करो पर केलकर कार्यबल ने 2003 में दिया था 
#     वर्ष 2010 तक राष्ट्रीय स्तर पर जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के 2006-07 के बजट में किया गया था 
#     इसके लिए विस्तृत रूपरेखा व रोड मैप तैयार करने का दायित्व राज्य के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को सौंपा 
#     राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की अनेक बैठक व व केंद्र के साथ समिति के विचार विमर्श के पश्चात जीएसटी के लिए वार्षिक सविधान संसोधन विधेयक (115 वां सविधान संशोधन विधेयक) मार्च 2011 में लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था 
#     जहां इसे संसद की वित्त पर स्थायी समिति को संदर्भित किया गया था 
#    लेकिन 15वी लोकसभा भंगहो जाने पर यह विधेयक निष्प्रभावीहो गया 
#     केंद्र में मई 2014 में नई सरकार के गठन के बाद पुनः केंद्रीय७ मंत्रिमंडल ने इसके लिए विधेयक के मसौदे को 17 दिसंबर 2014 को मंजूरी दी गई 
#     19 दिसंबर 2014 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया 
#     6 मई 2015 को लोकसभाने इसे पारित कर दिया था 
#     इसके पश्चात राज्यसभा में इसे प्रवर समिति को सन्दर्भित किया था 
#     प्रवर समितिने अपनी रिपोर्ट 22 जुलाई 2015 को प्रस्तुत की थी 
#     विपक्षी दलों के साथ लंबे व गहन विचार विमर्श के बाद इसके लिए जुलाई 2016 में सरकार ने सहमतिप्राप्त की 
#     जिससे 3 अगस्त 2016 को यह विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया 
#     अनेक संशोधनों के कारण लोकसभा में इसे 8 अगस्त 2016को पुनः पारित कराया गया 
#     जीएसटी सविधान संशोधन विधेयक 101 वे सविधान संशोधन अधिनियम के रूप में अधिसूचित किया गया है 
#     101 वे संविधान संशोधन अधिनियम के रूप में अधिसूचित इस जीएसटी में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे 
#     वस्तुओं और सेवाओं पर समान करारोपण के लिए लाए जाने वाले जीएसटी के लिए 122वें संविधान संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति का अनुमोदन 8 सितंबर 2016 को प्राप्त हुआ था 
#     जिससे जीएसटी बिल 101 वे सविधान संशोधन अधिनियम के रूप में अधिसूचित किया गया था 
#     इससे बहुप्रतिक्षित गुड एंड सर्विस टैक्स के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया 
#     सरकार द्वारा 1अप्रैल 2017 से इसे लागू करनेका प्रयास किया जा रहा है 
#     राज्य सभा द्वारा 3 अगस्त 2016 को और लोकसभा द्वारा 8 अगस्त 2016 को बिल को पारित किया गया था 
#     पारित इस बिल को 122वें संविधान संशोधन विधेयक के राष्ट्रपति द्वाराअनुमोदन के लिए कम से कम 50% विधान सभाओं में भी पारित होना आवश्यक था 
#     16 विधान सभाके अनुमोदन के पश्चात इसे राष्ट्रपति की मंजूरीहेतु भेजा गया 
#     GST सविधान संशोधन अधिनियम अधिसूचित होने के पश्चात इस कर की दरें व इसके नियमोंआदि के निर्धारण के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद का गठनकिया गया 
#     जीएसटी परिषद का गठन 12 सितंबर 2016को किया गया था 
#      सभी राज्य सरकारें इस परिषद की सदस्य हैं 
#     जीएसटी परिषद की पहली बैठक 22 सितंबर 2016 को नई दिल्लीमें संपन्न हुई थी 
#     GST परिषद की प्रथम बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षतामे GST के संबंध में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे 
#     20 लाख से कम सालाना टर्नओवर वाले (उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर व पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 10 लाख) व्यापारियों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का निर्णय जीएसटी की प्रथम बैठकमें लिया गया 
#     1.50 करोड़ से कम सालाना कारोबार वाले व्यापारी जहां राज्य के अधिकारियों की जांच के दायरे में आएंगेवहीं इससे अधिक कारोबार वालेकेंद्र व राज्य दोनों के क्षेत्राधिकार में आएंगे 
#     राज्य के राजस्व अनुमानों के लिए वर्ष 2015-16को ही आधार माना जाएगा 

WHAT is GST
जीएसटी का पूरा नाम है गुड्स एंड सर्विस टैक्स। यह एक अप्रत्यक्ष कर (इंडायरेक्ट टैक्स) है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर पूरे देश में एक समान टैक्स लगाया जाता है। जीएसटी लागू होने से पहले वस्तुओं और सेवाओं पर केंद्र और राज्यों द्वारा अलग-अलग प्रकार के कई टैक्स लगाये जाते थे। इन टैक्स में प्रमुख थे: सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट / सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्ज़री टैक्स, आदि। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद से ये सभी टैक्स ख़त्म हो गये और इनकी जगह पूरे देश में सिर्फ एक टैक्स ‘जीएसटी’ लगने लगा। यानी “एक देश, एक कर, एक बाजार”। 

The Types of GST

जीएसटी तीन तरह के हैं: 
1. सीजीएसटी (सेंट्रल जीएसटी): सीजीएसटी, यानी सेंट्रल जीएसटी, जिसे केंद्र सरकार वसूल करती है। 
2. एसजीएसटी (स्टेट जीएसटी): एसजीएसटी, यानी स्टेट जीएसटी, जिसे राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूल करती है। 
3. आईजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी): कोई कारोबार अगर एक से अधिक राज्यों के बीच होता है तो उस पर आईजीएसटी, यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूल किया जाता है। इसे केंद्र सरकार वसूल करती है और सम्बंधित राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाता है। 

जीएसटी के लिए संविधान संशोधन 

जीएसटी संविधान संशोधन से पूर्व भारतीय संविधान के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों को अपने हिसाब से वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार था। मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर टैक्स का अधिकार राज्य सरकार को और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास था। इस कारण देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह प्रकार के टैक्स लागू थे। इससे देश की टैक्स व्यवस्था बहुत ही जटिल हो गयी थी। कंपनियों और छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के टैक्स कानूनों का पालन करना भी मुश्किल होता था। इस जटिल व्यवस्था को हल करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 122वां संविधान संशोधन विधेयक (भारतीय संविधान के अनुछेद 246, 248 एवं 268 इत्यादि में संशोधन हेतु) दिसंबर, 2014 में संसद में पेश किया। इस संशोधन विधेयक के मुताबिक पूरे राष्ट्र में जीएसटी के तहत सभी तरह की सेवाओं और वस्तुओं/उत्पादों पर सामान टैक्स प्रणाली लागू करने का प्रावधान किया गया। इस विधेयक (122वां संविधान संशोधन विधेयक) को संसद की मंजूरी मिल जाने के बाद यह भारतीय संविधान का एक सौ प्रथम (101वां) संशोधन हो गया। 

जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पास करने की संवैधानिक प्रक्रिया 
जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए निम्नलिखित संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक था: 
1. लोकसभा की मंजूरी 
2. राज्यसभा की मंजूरी 
3. सभी 29 राज्यों में से (आधे से अधिक राज्यों यानी) 15 राज्यों की विधानसभा की मंजूरी। 
राष्ट्रपति की मंजूरी। 

HISTORY of GST

पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा किये गये प्रयास 
1. भारत में जीएसटी का विचार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा सन् 2000 में लाया गया। सरकार के दोनों सदनों में बहुमत नहीं होने की वजह से पारित नहीं हो सका। 
2. यूपीए सरकार के तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदम्बरम द्वारा फरवरी, 2007 में ठोस शुरुआत करते हुए मई, 2007 में जीएसटी के लिए राज्यों के वित्तमंत्रियों की संयुक्त समिति का गठन किया। राज्यों के बीच विरोधाभास होने पर अप्रैल, 2010 से कांग्रेस सरकार इसे लागू कराने में विफल रही। 
3. तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा मार्च, 2011 में 115वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया, जो गठबंधन सरकार के युग में विपक्ष के विरोध की वजह से पारित नहीं हो सका। 
वर्तमान सरकार के प्रयास 
देश में जीएसटी लागू करने के लिए मोदी सरकार ने 122वां संविधान संशोधन विधेयक (अनुछेद 246, 248 एवं 268 इत्यादि में संशोधन) दिसंबर, 2014 में संसद में पेश किया। 
इस संशोधन विधेयक को लोकसभा ने द्वारा मई, 2015 में पारित कर दिया। 
4 अगस्त, 2016 को राज्यसभा ने भी जीएसटी संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। 
जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक के खिलाफ एक भी वोट नहीं पड़ा यानी पूर्ण बहुमत से जीएसटी विधेयक पास हो गया। 
लोकसभा और राज्यसभा में जीएसटी बिल पारित हो जाने के बाद जीएसटी को लागू करने के लिए अगला कदम था (आधे से अधिक यानी) 15 राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अनुमोदन। 
25 अगस्त, 2016 को जीएसटी के लिए 122वें संविधान संशोधन विधेयक का अनुमोदन करने वाला देश का पहला राज्‍य असम बना। इसके बाद बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, नागालैंड, मिजोरम, तेलंगाना, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा और गोवा की विधान सभाओं सहित कुल 19 राज्यों ने जीएसटी विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। 
चुकि दोनों सदनों द्वारा इस संशोधन विधेयक के पारित कर देने के बाद सरकार द्वारा विधेयक में कुछ और संशोधन किये गये जिसके लिए सरकार ने विधेयक को पुनः लोकसभा में 29 मार्च 2017 को पास कराया। 
लोकसभा से पारित होने के बाद इस विधेयक को 6 अप्रैल 2017 को राज्यसभा ने भी पारित कर दिया। इस बार इस विधेयक को धन विधेयक के रूप में पेश किया गया था इसलिए भारतीय संविधान के अनुसार राज्य सभा में पारित होना या न होना महज एक औपचारिकता भर थी। 
13 अप्रैल 2017 को इस विधेयक को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी मिल गयी जिसके बाद 122वें संविधान संशोधन विधेयक को पूर्ण रूप से मंजूरी मिल गयी। यह भारतीय संविधान का 101वां संशोधन है। 
21 जून 2017 तक जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) कानून को पारित कर दिया है। 
दो राज्यों पश्चिम बंगाल और केरल ने जहां इस कानून को लेकर अध्यादेश जारी किया है, वहीं शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं ने ‘राज्य जीएसटी कानून’ को पारित किया है। 
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई से जम्मू काश्मीर को छोड़ पूरे देश में लागू हो गया। जीएसीटी लागू करने के लिए 30 जून को आधी रात में संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष सत्र का आयोजन किया गया जिसमे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बटन दबाकर जीएसीटी लागू किया। 

जीएसटी परिषद् का गठन और कार्य 

विधेयक में जीएसटी का मसौदा तैयार करने के लिए जीएसटी परिषद् गठित करने का प्रावधान किया गया है। इस मसौदे के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की 22 अक्टूबर 2016 को हुई बैठक में जीएसटी परिषद के गठन को मंजूरी दी गई। 
जीएसटी प्रणाली में टैक्स की दर तथा उसकी वसूली के तौर-तरीके निर्धारित करने का अधिकार जीएसटी परिषद् के पास है। 
देश के वित्त मंत्री को जीएसटी परिषद् के पदेन अध्यक्ष होंगे। वर्तमान में अरुण जेटली (जीएसटी परिषद् का प्रथम अध्यक्ष) की अध्यक्षता में इस परिषद का गठन किया गया है। 
इस परिषद में सभी 29 राज्य और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं। इस परिषद में सदस्य के तौर पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के अलावा राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। 
जीएसटी परिषद् में केंद्र का एक तिहाई मत होता है। जबकि दो तिहाई मत राज्यों का होता है। किसी भी सहमति पर पहुंचने के लिए तीन चौथाई बहुमत जरूरी होगा। 
जीएसटी परिषद की श्रीनगर में 18-19 मई 2017 को आयोजित 14वीं बैठक में कुल 1,211 वस्तुओं में से छह को छोड़कर अन्य के लिए कर की दरों का निर्धारण किया गया। 
जीएसटी परिषद की नई दिल्ली में 3 जून 2017 को आयोजित 15वीं बैठक में बची हुई छह वस्तुओं की जीएसटी दर तय कर दी है और इसके साथ ही सभी वस्तुओं और सेवाओं की दरें तय हो गई। 

जीएसटी व्यवस्था में टैक्स की दर 

जीएसटी व्यवस्था में सभी वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स की दरों को 5 स्लैब में विभक्त किया गया है। 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। खाने-पीने की अहम चीजों पर 0% टैक्स होगा जबकि नुकसानदेह या लक्जरी वाली चीज़ों पर अधिक टैक्स रखा गया है। 
1. 0 प्रतिशत टैक्स (कोई टैक्स नहीं): जूट, ताजा मीट, मछली, चिकन, अंडा, दूध, छाछ, दही, प्राकृतिक शहद, ताजा फल, सब्जियां, आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टांप पेपर, मुद्रित किताबें, अखबार, चूड़ियां, हैंडलूम, अनाज, काजल, बच्चों की ड्राइंग, कलर बुक इत्यादि। एक हजार रुपये से कम कीमत वाले होटल और लॉज इत्यादि। 
2. 5 प्रतिशत टैक्स: पैक्ड फूड, 500 रुपये से कम मूल्य के जूते-चप्पल, मिल्क पाउडर, ब्रांडेड पनीर, कॉफी, चाय, मसाले, पिज्जा ब्रेड, साबूदाना, कोयला, दवाएं, काजू, किसमिस, बर्फ, बायो गैस, इंसूलीन, अगरबत्ती, पतंग, डाक टिकट इत्यादि। रेलवे, हवाई जहाज, छोटे रेस्तरां इत्यादि। 
3. 12 प्रतिशत टैक्स: एक हजार रुपये से ऊपर के परिधान, मक्खन, चीज, घी, सॉसेज, दंत मंजन, सेलफोन, केचअप, चम्मच, कांटे, चश्मे, ताश, कैरम बोर्ड, छाता, आयर्वेदिक दवाएं, सिलाई मशीन, नमकीन, भुजिया इत्यादि। राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली लाटरियां, नॉन-एसी होटल, बिजनेस क्लास एयर टिकट, खाद इत्यादि। 
4. 18 प्रतिशत टैक्स: सबसे ज्यादा वस्तुएं इस वर्ग में रखी गई हैं। 500 रुपये से अधिक के जूते-चप्पल, सॉफ्टवेयर, बीड़ी पत्ता, सभी तरह के बिस्किट, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, मिनरल वाटर, एनवेलप, नोटबुक, स्टील के सामान, कैमरा, स्पीकर, मॉनिटर, काजल पेंसिल, एलुमिनियम फॉयल इत्यादि। शराब परोसने वाले एसी होटल, टेलीकॉम सेवाएं, आईटी सेवाएं, ब्रांडेड कपड़े, वित्तीय सेवाएं इत्यादि। 
5. 28 प्रतिशत टैक्स: बीड़ी, चूइंग गम, बगैर कोकोआ वाले चाकलेट, पान मसाला, पेंट, डियोड्रेंट, शेविंग क्रीम, शैम्पू, वाशिंग मशीन, ऑटोमोबाइल्स, मोटरसाइकिल इत्यादि। राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त प्राइवेट लॉटरियां, 7500 रुपये से ज्यादा कीमत वाले होटल, पांच सितारा होटल, रेस क्लब बेटिंग, सिनेमा इत्यादि। 

जीएसटी से प्रस्तावित लाभ 

किसी भी राज्य में सामान का एक दाम पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। जीएसटी के लागू होने से कोई भी सामान किसी भी राज्य में एक ही रेट पर मिलेगा। 

टैक्स विवाद में कमी टैक्स की वसूली करते समय अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना भी कम हो जाएगी। एक ही व्यक्ति या संस्था पर कई बार टैक्स लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, सिर्फ जीएसटी से सारे टैक्स वसूल कर लिए जाएंगे। 

कम होगी कीमत केंद्र और राज्यों को मिलने वाले सभी टैक्स खत्म हो जाएंगे और उनकी जगह जीएसटी ले लेगी। फिलहाल जो सामान खरीदते समय लोगों को उस पर 5-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है वो घटकर 5-28 प्रतिशत पर आ जायेगा। कंपनियों और व्यापारियों को अपना माल एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई अतिरिक्त कर नहीं चुकाना होगा। इससे सामान बनाने की लागत घटेगी। 

टैक्स पर टैक्स की व्यवस्था समाप्त होगी (इन-पुट क्रेडिट) जीएसटी व्यवस्था में व्यवसायियों द्वारा ख़रीदी गयी वस्तुओं (उत्पादन के लिए कच्चा माल आदि) और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की इन-पुट क्रेडिट मिलेगी। इसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे टैक्स पर टैक्स लगाने की व्यवस्था समाप्त होगी। 

विदेशी निवेशकों को आसानी भारत एक बड़े और एकीकृत बाज़ार के रूप में तब्दील होगा और जटिल करारोपण खत्म होने से विदेशी निवेशकों को आसानी होगी। वे भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होगे। 

काले धन से निबटने के लिए हथियार लोगों के लिए करों की चोरी कर पाना आसान नहीं होगा, इसीलिये जीएसटी को काले धन से निबटने के लिए मज़बूत हथियार के तौर पर देखा जा रहा है। 

अतर-राज्यीय व्यापर में आसानी अगर कोई कंपनी या कारखाना एक राज्य में अपने उत्पाद बनाकर दूसरे राज्य में बेचता था तो उसे कई तरह के टैक्स दोनों राज्यों को चुकाने होते थे जिससे उत्पाद की कीमत बढ़ जाती थी। जीएसटी में ये सभी कर समाहित हो जाने से उत्पादों की कीमत और व्यापार में होने वाली परेशानी कम होगी। 
जीएसटी पूरी तरह से टेक्नोलाजी पर आधारित कर प्रणाली है जिसमें सभी काम इलेक्ट्रानिक तरीके से होंगे। इसके चार अहम बिंदु हैं जिनमें ई-टैक्स, ई-रिटर्न, ई-आडिट और ई-असेसमेंट शामिल हैं। जीएसटी में कर की अदायगी केवल क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एनईएफटी या आरटीजीएस के जरिए होगी। केवल 10,000 रुपये से कम का कर भुगतान नकद अथवा चेक से किया जा सकेगा। 

जीएसटी का दायरा 

शराब, पेट्रोल, डीजल, विमान ईधन, रसोई गैस आदि को जीएसटी से बाहर रखा गया है। इन सभी वस्तुओ पर पहले की ही तरह टैक्स वसूल किया जायेगा जिससे इनकी कीमतें हर राज्य में अलग-अलग हो सकती हैं।

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